सफलता की कहानी: किसान के बेटे प्रेमसुख डेलू का पटवारी से IPS बनने तक का सफर

बीकानेर के एक सामान्य किसान परिवार से निकलकर प्रेमसुख डेलू ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से इतिहास रच दिया। उन्होंने सुरूआत पटवारी की नौकरी से की और कई प्रतियोगी परीक्षाएं पास करते हुए आखिरकार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कर आईपीएस अधिकारी बन गए। उनकी यह प्रेरणादायक कहानी लाखों युवाओं के लिए एक मिसाल है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

प्रेमसुख डेलू का जन्म राजस्थान के बीकानेर जिले के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता ऊंट गाड़ी चलाते थे और परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी। प्रेमसुख ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई प्रारंभ की और बीकानेर के डूंगर कॉलेज से इतिहास विषय में एमए की डिग्री हासिल की, जहां वे गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी हिंदी माध्यम से की।

करियर की शुरुआत और लगातार सफलता

2010 में उन्होंने पटवारी की नौकरी पाई। इसके बाद राजस्थान ग्राम सेवक, असिस्टेंट जेलर, स्कूल लेक्चरर, राजस्थान पुलिस सब इंस्पेक्टर, तहसीलदार जैसे पदों के लिए भी चयनित हुए, लेकिन पढ़ाई जारी रखी। तहसीलदार रहते हुए भी वे यूपीएससी की तैयारी करते रहे। कई सरकारी परीक्षाओं में टॉप करते हुए वे लगातार अपनी सफलता की कहानी लिखते रहे।

यूपीएससी परीक्षा की सफलता और आईपीएस बनने की कहानी

वर्ष 2015 में अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की और 170वीं रैंक हासिल की। इसके बाद वे आईपीएस अधिकारी बने। उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के अमरेली जिले में एसीपी के पद पर हुई। आज प्रेमसुख डेलू गुजरात काडर के एक काबिल और अनुशासित आईपीएस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।

प्रेरणा और संदेश

प्रेमसुख डेलू की कहानी इस बात की गवाही है कि गरीबी या सीमित संसाधन कभी भी सपनों को पूरा करने में बाधा नहीं बन सकते। केवल दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी होती है। वे युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और उनके संघर्ष ने कई लोगों के मन में उम्मीद जगाई है।

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