Punjab में Social Media Influencer की हत्या: Moral Policing का Dark Side | Full Story


पंजाब के बठिंडा में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कंचन कुमारी उर्फ कमल कौर की हत्या के मामले ने ‘मोरल पुलिसिंग’ की गंभीर समस्या को एक बार फिर रेखांकित किया है। यह मामला पंजाब के लिए ही नहीं, पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया है।

घटना का विवरण

शव की खोज: कमल कौर का शव 12 जून 2025 की रात बठिंडा स्थित आदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी की पार्किंग में खड़ी एक कार की पिछली सीट पर मिला। स्थानीय लोगों ने कार से बदबू आने की शिकायत करने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की।

पहचान: मृतक की पहचान लुधियाना के लक्ष्मण नगर निवासी कंचन कुमारी उर्फ कमल कौर के रूप में हुई, जो सोशल मीडिया पर काफी चर्चित रही थीं।

हत्या का तरीका: जांच में पता चला कि कमल कौर को एक प्रमोशनल शूट के बहाने बठिंडा बुलाया गया था। वहां पहुंचने के बाद, जसप्रीत सिंह और निमरतजीत सिंह ने उनका गला दबाकर हत्या कर दी और शव को उसी कार में छोड़कर फरार हो गए। कार पर नंबर प्लेट फर्जी थी।

गिरफ्तारी: पुलिस ने दो आरोपियों—जसप्रीत सिंह (मोगा) और निमरतजीत सिंह (तरन तारन)—को गिरफ्तार कर लिया है।

मास्टरमाइंड: इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड अमृतपाल सिंह मेहरों है, जो अभी तक फरार है।

मोरल पुलिसिंग’ क्या है और क्यों हुई हत्या?

परिभाषा: ‘मोरल पुलिसिंग’ का मतलब है, समाज के कुछ लोगों या समूहों द्वारा अपनी मान्यताओं या मूल्यों के आधार पर दूसरों के आचरण पर नियंत्रण करना या उन्हें दंडित करना।

हत्या का कारण: पुलिस के अनुसार, अमृतपाल सिंह मेहरों और अन्य आरोपी कमल कौर के सोशल मीडिया कंटेंट से नाखुश थे। उन्हें कमल कौर के वीडियो और पोस्ट में अश्लील भाषा और कंटेंट नापसंद था। इसी वजह से उन्होंने इसे ‘मोरल पुलिसिंग’ के नाम पर व्यक्तिगत मामला बना लिया और हत्या की साजिश रची।

सोशल मीडिया पर बहस: कमल कौर के कंटेंट को लेकर पहले भी विवाद हुआ था, लेकिन इस तरह की हिंसा ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कीमत जान देकर चुकानी पड़ेगी।

जांच और न्याय

पुलिस की कार्रवाई: पुलिस ने मामले को हत्या मानते हुए जांच शुरू की है। फोरेंसिक टीम ने साक्ष्य जुटाए हैं और एफआईआर दर्ज की गई है।

मुख्य आरोपी फरार: अमृतपाल सिंह मेहरों अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है, जबकि दो अन्य आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

समाज पर प्रभाव: इस घटना ने पंजाब में ‘मोरल पुलिसिंग’ और सोशल मीडिया कंटेंट को लेकर बहस को नया आयाम दिया है।

निष्कर्ष:

यह मामला बताता है कि कैसे ‘मोरल पुलिसिंग’ के नाम पर समाज के कुछ लोग दूसरों की जान लेने पर उतारू हो जाते हैं। कमल कौर की हत्या ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं

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